Sunday, September 4, 2016

लक्ष्मी अउर झाड़ू के बीच ई सम्बन्ध बा

हम रउवा सभे के तुलसी जी बारे में   बतावतनी जवन बहुत कम लोग के पता होइ और तुलसी जी के 108 नाम भी बताइब और ओकर मतलब  त रउवा सभे सुनी।

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👉  तुलसी जी के हिन्दू धर्म में बेहद .पवित्र और पूजनीय मानल जाला तुलसी के पेड़ अउर पत्ता का धार्मिक महत्त्व होला अउर वैज्ञानिक महत्त्व भी तुलसी जी के पौधा केएंटी-बैक्टीरियल मानल जाला, स्वास्थ्य के नजरिया से इ बेहद लाभकारी होला

हिन्दू पुराण में तुलसी जी के भगवान श्री हरी विष्णु के बहुत प्रिय हई। तुलसी के पौधा के घर में लगावल जाला, अउर उनकर पूजा करल जाला अउर कार्तिक महीना में तुलसी जी क विवाह से जुडल कई कथा हिन्दू पुराण में बा

त  लेई सुनी तुलसी जी से जुडल पौराणिक कथा

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श्रीमद देवी भागवत के अनुसार प्राचीन समय में एगो  राजा रहन और उनकर नाम धर्मध्वज अउर उसकी मेहरारू माधवी, दुनो जानि गंधमादन पर्वत पर रहत रहनन जा । माधवी हमेशा  से सुंदर उपवन में आनंद करत रहली। येइसे ही काफी समय बीत गइल अउर उनके ये बात क बिलकुल भी ध्यान नाही रहल। 

परंतु कुछ समय बाद धर्मध्वज के हृदय में ज्ञान क उदय भइल अउर उनसे विलास से अलग होखे क इच्छा कईन दूसर तरफ माधवी गर्भ से रहली कार्तिक पूर्णिमा के दिन माधवी के गर्भ से एगो सुंदर कन्या क जन्म भइल। इ कन्या की सुंदरता देख के इनकर नाम तुलसी रख दिहल गईल

  इ सुनी तुलसी जी के बिआह के बारे में 👇

👉   तुलसी जी बचपन से परम विष्णु भक्त रहली। कुछ समय के बाद तुलसी जी बदरी वन में कठोर तप करे चल गइली। अउर नारायण जी के आपन स्वामी बनावल चाहत रहलीं। उनकर तपस्या से प्रसन्न होके ब्रह्मा जी न उनसे वर मांगे खातिर कहलन तब तुलसी जी भगवान विष्णु के अपने पति रूप में प्राप्त करे  के इच्छा प्रकट कइली। तब ब्रह्मा जी  उनके मनोवांछित वर देदिहलन

एकरे  बाद उनकर  विआह  शंखचूड  से भइल । शंखचूड  एगो परम ज्ञानी और शक्तिशाली राजा रहलें उ देवतां लोगिन  के खिलाफ युद्ध छेड़ दिहलन । शंखचूड के पास आपन शक्ति के साथ तुलसी के पतिव्रत धर्म क भी शक्ति रहे । देवता लोगं तुलसी जी क पतिव्रत भंग करे खातिर एगो  योजना बनवलन  येकर सूत्रधार बनल श्री हरि विष्णु जी।

भगवान विष्णु जी अपने माया से शंखचूड क रूप धारण कर के तुलसी जी के  पतिव्रत भंग कर दिहलन। जब देवी तुलसी जी के ये बात जानकारी मिलल तो वह बेहद क्रोधित भइलीं और उ  विष्णु जी के पाषाण यानि पत्थर क बन जाये क श्राप दे दिहली । तभ से विष्णु जी शालिग्राम के रूप में पूजाये लगन

तुलसी जी के उत्पत्ति के बारे  में कई  कथां बा लेकिन समय के साथ बदले वाली ई  कथां क मर्म एक ही बा।

जब देवी तुलसी जी विष्णु जी के श्राप देहले रहली तब  विष्णु जी उनकर  क्रोध शांत करे खातिर  उनकेें वरदान दिहलन देवी तुलसी के केशों  { बाल } से तुलसी वृक्ष उत्पन्न होंई जवन आवे वाला समय में पूजनीय और विष्णु जी क प्रिय मानल जहिह। विष्णु जी क कवनो भी पूजा बिना तुलसी जी के पत्तों के  बिना अधूरा  मानल जाई। साथ में उनके वरदान भी  दिहलन कि आवे वाला युग में लोग खुशी से विष्णु जी के पत्थर स्वरूप और तुलसी जी क विवाह करईहन।

👉 तुलसी से जुड़ल मुख्य बात 

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👉 * तुलसी जी के सभ पौधों क प्रधान देवी मानल जाला

👉 *  तुलसी जी के पत्त्ा के बिना विष्णु जी क पूजा अधूरा बा

👉 *   पतिव्रता मेहरारूं के खातिर  तुलसी जी  पौधे क पूजा करल पुण्यकारी मानल जाला

👉 *  कार्तिक माह में तुलसी जी क विआह क त्यौहार मनावल  जाला विष्णु जी के शालिग्राम रूप क विआह तुलसी जी के साथ करावल जाला

तुलसी जी क परिवार

👉 तुलसी जी क माता क नाम माधवी अउरी  पिता का नाम धर्मध्वज था। उनकर विवाह भगवान विष्णु के अंश से उत्पन्न शंखचूड़ से भइल

तुलसी जी क आठ गो नाम अउर ओकर अर्थ

{ 1 }  वृंदा - सभ वनस्पति अउर वृक्षं क आधि देवी

{ 2  } वृन्दावनी - जेकर उद्भव व्रज में भइल

{ 3  } विश्वपूजिता - समस्त जगत द्वारा पूजित

{ 4  } विश्व -पावनी - त्रिलोकी के पावन करे वाली

{  5  } पुष्पसारा - हर पुष्प का सार

{  6  } नंदिनी - ऋषि मुनियों के आनंद प्रदान करे वाली

{  7  } कृष्ण-जीवनी - श्री कृष्ण क प्राण जीवनी

{  8  } तुलसी - अद्वितीय

तुलसी जी क  मंत्र

मान्यतानुसार कार्तिक मास के पूर्णिमा तिथि के दिन जवन जातक तुलसी जी क  पूजा करेला ओकर कई जन्म क पुण्य फल प्राप्त होला। ये दिन तुलसी जी क  पूजा में निम्न मंत्र क प्रयोग कइल जा सकेला

वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नन्दिनी च तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतन्नामाष्टंक चैव स्त्रोत्रं नामार्थसंयुतमू । यः पठेत् तां च सम्पूज्य सोडश्वमेधफलं लभेत।।

रउवा सभे मिलके बोली  तुलसी माई क जै

Sunday, January 31, 2016

भोजपुरी शायरी

1. तहार मुस्कान हमार कमजोरी बा
कह ना पावल हमार मजबुरी बा
तु काहे ना समझेलू हमार चुप रहल,
का चुप्प रहला के जुबान दिरुरी बा ।

2.हम के मत कहऽ शेर सुनावे खातिर
आपन दिल चीर के दिखावे खातिर
हम त सायरी करीना ,
खाली आपन दर्द मिटावे खातिर

3.तु करीब ना अईलू त ईजहार का करती
खुद बन गईनी शिकार त शिकार का करती
मर गईनी पर खुलले रहे आँख ,
एकरा से ज्यादा तहार इंतजार का करती

4.हर दिल क एगो राज होला
हर बात क एगो अंदाज होला
जब तक ना लागे बेवफाई के ठोकर ,
हर केहू के अपना पसंद पर नाज होला ।

5.खुशी क एगो संसार लेके आईब
पतझङ मे भी बहार लेके आईब
जब भी बोलईबू प्यार से ,
मौत से भी सांस उधार लेके आईब

अब चलते आज के एगो हसी के खजाना
यादव जी कस्टमर केयर से- हमरा भईषीया हमरा सीम खाके भाग गई है ।
कस्टमर केयर-तो हम क्या करेँ ?
यादव जी- जी पुछना था कि रोमिँग तो नही लगेगा ।

अखिल असम भोजपुरी परिषद